डॉ. ज्वाला प्रसाद तिवारी का जन्म
7 अगस्त, 1941 को मध्यप्रदेश,
बुंदेलखंड में जिला सागर के ग्राम
भेंसा में हुआ । प्रारंभिक शिक्षा चांदपुर तथा हायर सेकेन्डरी प्रमाण पत्र शासकीय कृषि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रहली सागर में प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया । कृषि
स्नातक की उपाधि
प्रथम श्रेणी में वर्ष 1965 में व स्नातकोत्तर
की पढ़ाई कृषि वनस्पति विज्ञान में कर मास्टर
ऑफ़ सांइस की उपधि
प्रथम श्रेणी में ही कृषि
वनस्पति विभाग, कृषि महाविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)
से वर्ष 1967 में प्राप्त की । स्नातक व स्नातकोत्तर
शिक्षा अवधि में मेरिट स्कालरशिप भी प्राप्त की ।
विद्यावाचस्पति की उपाधि
जबलपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त
की। वर्ष 1968 में अनुसंधान सहायक के पद
पर नियुक्ति हुई । वर्ष
1970 में
सहायक प्राध्यापक, 1985 में सह प्राध्यापक,
1998 में
प्राध्यापक एवं 2001 में अधिष्ठाता के पद
पर नियुक्ति हुई। 31 अगस्त 2003 में सेवा निवृत्ति हुई। वर्ष 1978 से 1997 तक
नींदा नियंत्रण की अखिल
भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना में विभिन्न पदों पर रहते
हुए नींदा नियंत्रण की विधाओं
पर अनुसंधान कार्य प्रतिपादित किया ।देश की प्रमुख
शोध पत्रिकाओं में 1300 शोध पत्र प्रकाशित किये । राष्ट्रीय
एवं अंतराष्ट्रीय संगोष्ठियों व सेमीनारों
में 200 शोध पत्र प्रस्तुत कर प्रकाशित
किये । खरपतवार
नियंत्रण पर पुस्तक
लिखी। अनुसंधान के साथ-साथ शिक्षण कार्य भी सम्पन्न
किया । एम.एस.सी. एवं
पी.एच.डी.
के 50 छात्रों को शोध
कार्य व शोध
ग्रंथ लेखन में मार्गदर्शन किया । अनेक
कार्यशालायों, कृषि संगोष्ठियों व कृषि
प्रशिक्षणों का आयोजन
किया। कृषि विस्तार हेतु कृषकोपयोगी लेख, पत्रक आदि का लेखन
किया। वर्ष 1997 से 2001 तक
‘‘औषधीय पौधों की कृषि
तकनीक विकास परियोजना‘‘, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत शासन,‘‘औषधीय एंव सगंध पौधों की कृषि
तकनीक विकास परियोजना‘‘, कृषि मंत्रालय, भारत शासन, ‘‘औषधीय एवं संगध पौधों की नर्सरी
की स्थापना‘‘, ‘‘औषधीय एवं सगंध पौधों के रासायनिक
विश्लेषण हेतु प्रयोगशाला की स्थापना‘‘
तथा ‘‘औषधीय एवं सगंध पौध उत्पादन रिवॉल्विंग फंड स्कीम‘‘ भारत शासन की परियोजनाओं
में प्रोजेक्ट कोआर्डीनेटर के रूप
में औषधीय व सगंध
फसलों की कृषि
तकनीक, प्रबंर्धन, प्रसंस्करण व विश्लेषण
पर शोध कार्य सम्पन्न किया व शोध
पत्र प्रकाशित किये । छात्रों,
वैज्ञानिकों, उद्यानिकी, कृषि व वन
विभाग के अधिकारियों,
कृषकों, वैद्यों व कम्पनियों
के कार्यकत्र्ताओं को औषधीय
व सगंध फसलों की कृषि
तकनीक, प्रसंसकरण, आस्वन आदि पर अनेक
प्रशिक्षणों का आयोजन
किया । औषधीय
एवं सगंध फसलों की अखिल
भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना जो विभिन्न
प्रदेशों में संचालित हो रही
है उसकी मानीटरिंग की ।
सेवा निवृत्ति के उपरान्त
कृषि वनस्पति विभाग, ज.ने.कृ.वि.वि.
जबलपुर में कन्सल्टेंट के रूप
में औषधीय जैव विविधता के संरक्षण
व संवर्धन हेतु शोध कार्य और मार्गदर्शन
किया।
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