Laxmimal Lodha

लक्ष्मीमल लोढ़ा , लेखक कवि स्वप्रेरित है। भावुक है , खुद के प्रति इमानदार और सच्चे हैं। जैसा देखा,जैसा समझा वैसे ही कविताओं में भाव प्रगट किये हैं। जन्म 1 जनवरी 1948 को जोधपुर के संभ्रात परिवार में हुआ। पिताश्री राजस्थान के जाने माने अग्रणीय एडवोकेट और वक्ता थे। फिर हाईकोर्ट के जज और चीफ जस्टिस बनें लेखक कवि स्वयं पेशे से राजस्थान हाईकोर्ट मे सन् 1971 सेवकालात कर रहे हैं। वकालात में अपनी दलीलों और सूझबूझ के लिए मशहुर है। स्वछन्द विचारों के धनी होने के नाते खुद को किसी भी परिधि में सीमित रखने से रोके रखा। पढ़ाई लिखाई जोधपुर की सरदार हायर सैकेण्डरी स्कूल से प्रारम्भ होकर जोधपुर विश्वविद्यालय की एल . एल . बी . तक समाप्त हो गई। स्कूल एवं विश्वविद्यालय में राज्य स्तर पर एक निपुण वक्ता के रूप में जाने जाते थे। भावुक दिल होने का परिचय ढेर सारे मित्रों, रिश्तेदारों परिवार के सभी सदस्यों को प्राप्त है। राजनीति की खुली चर्चा करने के लिए मशहूर है। बेबाक अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा करना इनकी फिकरत है। देश प्रेम, मातृभूमि से इन्हें राजनीति की किसी एक विचार धारा से जुड़ने के लिए हमेशा रोका है। राष्ट्र हित में नागरिक कर्तव्य को सदैव सर्वोपरि माना है। यही कारण है कि अब इन्हें वर्तमान राजनीति राजनैतिक गतिविधियाँ, राजनैतिक पार्टियाँ और राजनेता उस मैले की तरह लगती है जिसे सम्पूर्ण धो डालने की आवश्यकता  है। इन्हें लगता है कि दश को नया संविधान जिसमें केवल दो या अधिकारों के ऊपर प्राथमिकता मिलनी चाहिये। अन्यथा समानान्तर तो होने ही चाहिये। शिक्षा एक स्तर तक अनिवार्य होनी चाहिये। व्यावहारिक शिक्षा की अधिक आवश्यकता हैा नहीं कि उच्च शिक्षा की 1997 में देश की आबादी यहाँ तीस करोड़ थी वहीं आज सतर वर्ष बाद राजनेताओं  की मेहरबानी, लापरवाही  और खुदगर्जी के कारण एक सौ तीस करोड़ हो गई है। इस बड़ी आबादी के करण ही देश की बर्बादी और बेडा  गर्त हो गया है। राष्ट्र हित  में इनका कटु सुझाव है कि धर्म या जाति से भारतीय नागरिकता की पहचान नहीं होनी चाहिये। कवि ने महात्मा गाँधी को राम या कृष्ण की तरह धरती पर अवतार माना है। इनका कहना है जैसे लोगों ने राम और कृष्ण के नाम की आड़ में अधर्म को खेल खेला है उसी तरह नेताओं ने गांधी की आड़ में अनैतिक खेल खेला है। आने वाली पीढ़ियां कब तक और क्यूँ ऐसा बर्दाश्त करती रहेंगी इनका नारा है, देश को बचाना है, खुद को जगाना है।


Madu Angana

Laxmimal Lodha
Hard Bound
  • 150.00 : 150.00

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