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मैं दीनानाथ चौधरी पंजाब नेशनल बैंक में ब्रांच मैनेजर के रूप में कार्यरत था । मुझे शुरू से ही मेंटल एबिलिटी के प्रश्नों को समझाने का बड़ा शौक रहा है । मैं उन्हें समझता भी था और लोगों को सिखाता भी था । सिखाने के बहाने मैंने मेंटल एबिलिटी के कई प्रश्नों के कलेक्शन को एकत्रित करना शुरू किया ।मुझे जहां भी पहेलियां या प्रश्न मिलते किसी भी किताब या अखबार में से कटिंग काटकर उन्हें इकट्ठा करता रहता था इस तरह से मुझे इन्हें कलेक्ट करने का शौक लग गया और मैंने एक डायरी में इन्हें चिपकाना शुरु कर दिया मेरे पास ढेर सारे प्रश्न प्रश्न इकट्ठे हो गए एक बार मेरे बेटे हरीश ने कहा कि क्यों ना हम पापा की मेंटल एबिलिटी की प्रश्नों की एक बुक छपवाते है। उसने यह कार्यभार  मेरे बड़े बेटे अनिल को सौंपा और मेरी बहु रानी कीर्ति बिटिया और  अनिल ने मिलकर पापा जी की वर्ग पहेलियों का एक कलेक्शन तैयार  किया और उसे डायरी में नोट करते  जाइए उन्होनें  अपने इस काम को बखूबी अंजाम दिया।इस बीच मेरा बडा पोता कुनाल उन्हे प्रोत्साहित करता रह्ता था। उन्होने पूरी तरह से एक डायरी जिसमें की सारे प्रश्नों के इकट्ठा करके उनमें लिखने का कार्य किया उसके बाद मेरी बहु रानी मंजू को कंप्यूटर टाइपिंग का काम सौंपा गया उसने भी अपने इस कार्य को पूरी तरह से निभाया और कंप्यूटर पर सारे प्रश्नों को टाइप करके अपना काम पूरा किया मेरे बेटे सुनील ने कई प्रश्नो ाप पहेलियों  हल हल निकाल कर उनका उत्तर निकाला इस कार्य में उसका बहुत बड़ा योगदान रहा उसके बाद यह कार्यभार मेरी बहु रानी रुचिरा को सौंपा गया उसने उसकी गलतियों को निकालकर उसे पूरी तरह से एक डायरी में नोट किया मेरी पोतिया सौम्या सिद्धि ने कंप्यूटर पर सही तरीके से किस तरह से टाइप किया जाए और किस तरह से इसे सुंदर प्रारूप में प्रस्तुत किया जाए उस कार्य को मन लगाकर पूर्ण किया इस बीच मेरा बेटा हरीश सभी से पूछता रहा किसने कितना काम पूर्ण कर लिया वह सभी को लगाए इस कार्य में लगाए रखता था मेरा पोता यश जिसने की इस पुस्तक का कवर पेज डिजाइन किया है उसका भी इस कार्य में योगदान है इसी तरह से सभी परिवार ने मिलकर इस पुस्तक को पूर्ण प्रारूप देने में योगदान दिया है

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