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Prakartik Kheti (Natural Farming)

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Prakartik Kheti (Natural Farming)

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प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक कृषि में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि प्रकृति में आसानी से, तथा प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले तत्वों, तथा जीवाणुओं के उपयोग से यह कृषि पद्धति की जाती है। यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल है तथा फसलों की लागत घटाने में कारगर है। फसलो की गुणवत्तयुक्त पैदावार प्राप्त होने से आय में वृद्धि की जा सकती है। प्राकृतिक कृषि में जीवामृत (जीव अमृत), घन जीवामृत एवं बीजामृत का उपयोग पौधों को पोषक तत्व दिए जाने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग फसलों पर घोल के छिड़काव अथवा सिंचाई के पानी के साथ में किया जाता है प्राकृतिक कृषि में कीटनाशकों के रूप में नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, सोठास्त्र, दषा पड़नी, नीम पेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। यह पुस्तक प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए उन तमाम विन्दुओ की ओर इसारा करती है तथा वर्तमान खेती की उन समस्याओ का ध्यान आकृष्ट करती है जिनके कारण खेती की यह दषा है। यह पुस्तक वर्तमान खेती के स्वरुप को बदल कर आधुनिक खेती के उस स्वरुप को परिवर्तित कर देगी जिसकी आज हम सभी को आवष्यकता है। यह पुस्तक प्राकृतिक खेती के जानकारो, कृषको, विद्यार्थियो, षिक्षको, प्रसार कार्यकर्ताओ जो प्राकृतिक खेती में रुचि रखते हैं के लिए निःसंदेह लाभकारी सिद्ध होगी।

 

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