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नोबेल पुरस्कार विजेता जे.डी. वाट्सन की पुस्तक द डबल हेलिक्स 1968 में अमेरिका (एथेनियम) और इंग्लैंड (वाइडेनफ़ील्ड एण्ड निकोलसन) से प्रकाशित हुई थी। मूल रूप से यह पुस्तक वाट्सन की डी एन ए संरचना की खोज का व्यक्तिगत वर्णन है, जो डार्विन की पुस्तक के बाद की सबसे प्रसिद्ध घटना है। ‘डबल हेलिक्स‘ आधुनिक युग की प्रतिमा है और इस पुस्तक को पढ़ने से ज्ञात होगा कितना रोमांचक रहा होगा इसमें प्रतिभाग करना। इस पुस्तक के प्रकाशित होने की कहानी भी कम रोमांचक नहीं है। पहले यह ‘आनेस्ट जिम‘ के नाम से प्रकाशित होने के लिये अनुबंधित हुई थी। लेकिन जब इसकी पांडुलिपि वाट्सन ने उन सभी को भेजी जो इसमें चर्चित थे, उनकी प्रतिक्रिया तीव्र रूप से इसके विरोध में थी। इस कारण नहीं कि इसमें वर्णित ऐतिहासिक तथ्य यथार्थ से भिन्न थे, बल्कि इसलिये कि इसमें कुछ लोगों के विषय में वर्णन असंयमित थे। वाट्सन ने बहुत कुछ बदलाव किया फिर भी हारवर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने प्रकाशन रोक दिया। इसके बाद व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने इसे प्रकाशित किया। 1969 में ‘मेन्टर बुक्स‘ ने इसका पेपर-बैक संस्करण छापा। अब तक यह पुस्तक लगभग 20 भाषाओं में अनुदित हो चुकी है। डी एन ए संरचना और वाट्सन-क्रिक की भाँति यह पुस्तक भी ऐतिहासिक हो चुकी है। मालीक्यूलर बायलोजी, बायोकेमेस्ट्री और अनुवांशिकी जैसे विषयों में यह पुस्तक पूरक अध्ययन के रूप में प्रयोग होती है।
1 दो शब्द
2 लेखक परिचय वाटसन
3 परिचय स्टीव जान्स
4 प्रस्तावना सर लारेन्स ब्रेग
5 भूमिका जेडी वाटसन
6 समपर्ण
7 अध्याय 1 से 29
8 उपसंहार
9 हिन्दी अंग्रेजी शब्दावली
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