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यह पुस्तक लेखक के समुद्र विज्ञान क्षेत्र में शोध एवं अनुभव, सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अन्वेषण कार्य से प्राप्त परिणाम तथा इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखी गयी है। पृथ्वी एवं उस पर इतने विशाल समुद्र की उत्पत्ति, समुद्र विभाजन व समुद्री जैवविविधता की विस्तृत जानकारी दी गई है। समुद्री खाद्य शृंखला का विधिवत उल्लेख करते हुए प्राथमिक ऊर्जा, द्वितीय ऊर्जा व तृतीय ऊर्जा उत्पादकों का वर्णन चित्रों सहित किया गया है। मानव आधुनिक विकास की होड़ में अपनी गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषण एवं प्रदूषणकारी तत्वों के परिवेश से समुद्री गुणवत्ता में परिवर्तन, जैव विविधता में भारी गिरावट एवं अंततोगत्वा समुद्री संसाधन में क्षीणता को नजरअंदाज कर रहा है, इस विषय पर अधुनातन ज्ञान के साथ विधिवत चर्चा की गयी है। इतना ही नहीं अपितु मानव क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं का भय निरंतर बढता जा रहा है। यह पुस्तक इन सभी समस्याओं से अवगत कराते हुए, भविष्य में सावधानी बरतने हेतु मदद करती है। पुस्तक में न केवल पर्यावरण के असंतुलन बल्कि समुद्री संपदा के संरक्षण के साथ-साथ स्वस्थ समुद्री पर्यावरण के उपायों का भी समुचित उल्लेख है। तट एवं तटीय पर्यावरण की सुरक्षा में अहम भूमिका अदा करने वाले मैंग्रूव की जानकारी के साथ-साथ सी॰आर॰जेड॰ कानून से परिचित करा कर लोगों को तटीय पर्यावरण की सुरक्षा में अग्रसर होने हेतु, इस पुस्तक की अप्रतिम भूमिका है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए आज आवश्यकता है कि अपकर्ष पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को एक सकारात्मक सोच के साथ जन-जन तक पहुँचाकर जागरूकता उत्पन्न की जाए, इस उद्देश्य हेतु यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक है।
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